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Success story: फतेहाबाद जिले के खाबड़ा गांव के सुबोध बेनीवाल ने लहराया परचम, एक साथ मिली दो बड़ी सफलताएं

Success story: फतेहाबाद जिले के खाबड़ा गांव के सुबोध बेनीवाल ने लहराया परचम, एक साथ मिली दो बड़ी सफलताएं
 

Success story: हरियाणा प्रदेश के फतेहाबाद जिले के खाबड़ा गांव के रहने वाले सुबोध बेनीवाल ने छोटी सी उम्र में बड़ा कारनामा कर दिखाया है। आज उस समय इस गांव के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब गांव के रहने वाले सुबोध बेनीवाल ने एक साथ दो-दो बड़ी सफलताएं हासिल की। सुबोध ने नेट (जेआरएफ) की परीक्षा में जहां संपूर्ण देश में 111वीं रैंक हासिल की तो वहीं दूसरी तरफ आज ही के दिन उनका आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर भी चयन हुआ। सुबोध द्वारा एक साथ दो बड़ी सफलताएं हासिल करने पर भट्टू कलां के नजदीक खाबड़ा गांव में चारों तरफ लोग खुशियां मनाने लगे। गांव वालों ने कहा कि आज सुबोध ने संपूर्ण देश में हमारे छोटे से गांव का नाम रोशन कर दिया।

सुबोध ने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर कड़ी मेहनत के बल पर हासिल किया यह मुकाम 

सुबोध की सफलता पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि वह लगातार पिछले कई वर्षों से सोशल मीडिया से दूरी बनाते हुए इस परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इस परीक्षा की तैयारी हेतु सुबोध ने पिछले कई वर्षों से लक्ष्य निर्धारित करते हुए लगातार प्रतिदिन 10 से 12 घंटे पढ़ाई की थी। सुबोध का मानना है कि अगर हमें किसी परीक्षा में सफलता हासिल करनी है तो उसके लिए पढ़ाई के साथ-साथ सोशल मीडिया से भी दूरी बनाना अति आवश्यक है। क्योंकि आजकल युवा ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर ही बिताते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कोई बुरी चीज नहीं है लेकिन इसका इस्तेमाल अगर आप सही तरीके से नहीं करते तो यह आपके लक्ष्य प्राप्त करने में बाधा बन जाएगी।

सुबोध की सफलता गांव के दूसरे बच्चों को करेगी प्रेरित 

सुबोध ने आज एक साथ दो बड़ी सफलताएं हासिल कर संपूर्ण गांव को गौरवान्वित कर दिया। सुबोध की सफलता पर गांव वालों ने कहा कि आज सुबोध ने यह सफलता हासिल कर गांव के दूसरे बच्चों को भी प्रेरित करने का काम किया है। सुबोध के चाचा अनिल बेनीवाल ने बताया की सुबोध ने आज परिवार के साथ-साथ संपूर्ण जिले का भी देश में नाम रोशन कर दिया है। उन्होंने कहा कि सुबोध बचपन से ही पढ़ाई में काफी इंटेलिजेंट था। पढ़ाई के प्रति बचपन से ही इतनी रुचि होने के चलते ही आज उन्हें यह सफलता हासिल हुई है। आज सुबोध को मिली यह सफलता गांव के दूसरे बच्चों को भी प्रेरणा देगी।