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 राजस्थान के गोगामेड़ी पशु मेला में इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले ऊंटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई 

 

हरियाणा की सीमा से सटे राजस्थान के गोगामेड़ी पशु मेला में इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले ऊंटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, जो की पशु पालन विभाग के लिए शुभ संकेत है। भारत के बड़े मेलों में शुमार गोगामेड़ी पशु मेले में अन्य पशुओं के बजाय ऊंट ही आते हैं। मेले में हरियाणा, राजस्थान, यूपी, जम्मू कश्मीर से ऊंट व्यापारी व किसान अपने ऊंटों को लेकर आते हैं। एक माह तक चलने वाले मेले में इस बार अब तक कुल 3785 ऊंट आए हैं। इनमें से अब तक राजस्थान के पालक 3077 तथा अन्य राज्यों हरियाणा, पंजाब जम्मू कश्मीर के पालक 708 ऊंट लाए हैं। इनमें से अब तक 972 ऊंटों की बिक्री हुई है। पिछली बार साल 2023 में इसी अवधि में 2644 ऊंट आए थे। सबसे ज्यादा कीमत का ऊंट 81000 रुपए में बिका है ओर सबसे कम कीमत का ऊंट मात्र 9000 रुपए में बिका है।


पशुपालन विभाग से मेला अधिकारी गोगामेड़ी कैंप के व्यवस्थापक डॉ हरिश्चंद्र गुप्ता ने बताया कि पशु मेले में पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के लिए पेयजल, छाया और निःशुल्क चिकित्सा > सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। गोगामेड़ी पशु मेले का शुभारंभ राष्ट्रीय ध्वजारोहण के साथ पशुपालन विभाग द्वारा किया जाता रहा है जबकि मेले का समापन देवस्थान विभाग द्वारा किया जाता है।

साल 1958 से लग रहा पशु मेला, ऊंटों की संख्या होती है ज्यादा

किसान व व्यापारी जोरा सिंह, सुल्तान सिंह, महेंदर सिंह, मनफूल, हरी सिंह ने बताया कि साल 1958 से लगने वाला यह मेला पशु मेले के नाम से ही जाना जाता है। गोगामेड़ी के पशु मेले में आस-पास के क्षेत्रों व देश के अन्य राज्यों से भी रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाला ऊंट बिक्री के लिए यहां आते हैं। यहां पर अच्छी-अच्छी नस्ल के ऊंट ऊंटनी देखने को मिलते हैं। करीब 20 वर्ष पहले इस मेले में ऊंटों के अलावा बछड़े (बैल), घोड़े भी बिक्री के लिए यहां आते थे। इस मेले में ऊंटों की बिक्री अच्छी-खासी हुआ करती थी।

11 ओर 12 सितंबर को होगी पशु प्रतियोगिता

गोगामेड़ी मेले में पशु पालन विभाग द्वारा हर वर्ष पशु प्रतियोगिता करवाई जाती है। इसी कड़ी में इस बार 11 ओर 12 सितंबर को पशु प्रतियोगिता करवाई जाएगी। इसमें ऊंटों की दौड़, घुड़ दौड़, भैंस की दूध प्रतियोगिता सहित कई प्रतियोगिता करवाई जाएगी। इसमें अव्वल रहने वाले पशु पालकों को सम्मानित किया जाएगा। - डॉ. हरिश्चंद्र गुप्ता, पशु मेला अधिकारी