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खाद, बीज और पेस्टीसाइड विक्रेताओं के लिए डिप्लोमा कोर्स चल रहे, आधुनिक के साथ-साथ प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए हमेटी से लें प्रशिक्षण, अब तक 800 किसान सीख चुके हैं गुर

खाद, बीज और पेस्टीसाइड विक्रेताओं के लिए डिप्लोमा कोर्स चल रहे
 

हरियाणा का कोई भी किसान आधुनिक खेती व प्राकृतिक खेती के लिए जींद की हमेटी में प्रशिक्षण लेकर आमदनी बढ़ा सकता है।

प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा चलाया जा रहा राज्य स्तरीय हरियाणा कृषि प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (हमेटी) प्रदेश के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। करीब 13 एकड़ में फैले संस्थान में लगभग 5 एकड़ में हरे-भरे पार्क, दो एकड़ में प्रयोगात्मक क्षेत्र और करीब आधा एकड़ में औषधीय पौधशाला है। यहां किसान आधुनिक खेती के तौर तरीकों के साथ-साथ प्राकृतिक खेती का भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। अबतक करीब 2550 किसान व विक्रेता यहां से सर्टीफिकेट डिप्लोमा प्राप्त कर आजीविका कमा रहे हैं। पुरानी पेस्टीसाइड विक्रेताओं के लाइसेंस रिन्यूअल के लिए 25 बैचों में करीब 750 विक्रेताओं को 12 सप्ताह वाला कोर्स कराकर लाभ दिया जा चुका है। इसके अलावा कृषि विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों व किसानों को कृषि की नवीनतम तकनीकों, विभाग व उनके सहयोगी विभागों की विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी जाती है। ढाठरथ गांव के किसान ईश्वर अत्री, सुनील कंडेला, रामअवतार सिवानी, नरेंद्र पुनिया खरक ने बताया कि प्राकृतिक खेती को अपनाए हुए हैं। गन्ने की खेती के बाद गुड़-शक्कर तैयार कर बेचते हैं।

प्रशिक्षण के साथ-साथ रहने की फ्री सुविधाः डॉ. कर्मचंद

हमेटी में प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृता तैयार करने की विधि समझाते हुए विशेषज्ञ

हमेटी के निदेशक डॉ. कर्मचंद के मुताबिक केंद्र सरकार की आत्मा स्कीम के अंतर्गत वर्ष 2006 में हमेटी जींद में शुरू किया गया था। इस संस्थान द्वारा भारत सरकार व हरियाणा सरकार के दिशा निर्देशानुसार विभिन्न प्रशिक्षण व कोर्स करवाए जाते हैं। हमेटी द्वारा केवल खाद विक्रय का कार्य करने वाले युवाओं के लिए भी 15 दिवसीय कोर्स करवाया जाता है, जिसमें 35 बैचों में लगभग 1000 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। किसानों के लिए संस्थान में फ्री प्रशिक्षण देने के साथ भोजन व ठहरने तक की सुविधा दी जाती है।

रसायनिक खेती से खाद्यान्न व भूमि पर दुष्प्रभाव

प्राकृतिक खेती प्रशिक्षक डॉ. सुभाष चंद्र के अनुसार जहरीले कीटनाशकों व रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से खाद्यान्न, भूमि व पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। प्राकृतिक खेती की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने के लिए प्रदर्शनी प्लॉट भी स्थापित किया गया है।