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अमेरिका की 15 कंपनियां चीन से भारत आएंगी

अमेरिका की 15 कंपनियां चीन से भारत आएंगी
 

अमेरिका-चीन में बढ़ते तनाव और चीन में बदलते व्यापारिक माहौल के चलते 50 अमेरिकी कंपनियां अपना कारोबार वहां से समेटने की तैयारी में हैं। इन कंपनियों का कुल निवेश 12 लाख करोड़ रुपए है। इनमें से 15 भारत में निवेश करना चाहती हैं। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स (एसीके) की 306 कंपनियों की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत अब मेक्सिको अमेरिका और यूरोप को पछाड़कर निवेशकों की शीर्ष पसंद बनता जा रहा है। बीते साल भारत को निवेश के लिए 5वां स्थान दिया गया था, जबकि इस साल यह दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। पहले नंबर पर दक्षिण पूर्व एशिया है। बता दें कि इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया अब भी निवेशकों की पसंद बना हुआ है। चीन निवेशकों की प्राथमिकता खोता जा रहा है।

मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनियां भारत को प्राथमिकता दे रहीं

मैनेजमेंट से जुड़ी कंपनियों के लिए भारत की प्राथमिकता लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले साल, 40% अमेरिकी कंपनियां, जो पहले चीन में निवेश की योजना बना रही थीं, अब भारत में निवेश पर विचार कर रही हैं। खासकर मैनेजमेंट कंसल्टिंग क्षेत्र में 54% कंपनियों ने अपने निवेश की दिशा बदलकर भारत की ओर रुख किया है। इसके अलावा गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने भी भारत में निवेश को लेकर अपनी प्राथमिकता जाहिर की है।

एसीके की रिपोर्ट में शामिल 306 अमेरिकी कंपनियों में से ज्यादातर ने माना कि भारत में निवेश के प्रति अनूकूल माहौल बन रहा है। भारत का बड़ा बाजार भी उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है।

कंपनियों को नहीं रास आ रही चीन की सख्त नीतियां

कोरोना के बाद चीन में निवेश के माहौल में कई बड़े बदलाव हुए हैं, जो विदेशी कंपनियों को रास नहीं आ रहे। शी जिनपिंग सरकार ने बेरोजगारी और बूढ़ी होती आबादी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए नीतियों में बदलाव किए हैं, लेकिन इन बदलावों ने निवेशकों के भरोसे को हिला दिया है। चीन में 16 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी दर 21.3% तक पहुंच गई है, जो 3 दशकों में सबसे ज्यादा है। साथ ही, देश की उम्रदराज होती आबादी भी एक बड़ी समस्या बन गई है, जिससे उत्पादन क्षमता पर असर पड़ा है। इन आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों के बीच चोन की आर्थिक स्थिरता पर भी सवाल हैं।


306 कंपनियों की रिपोर्ट 

36% कंपनियों का वार्षिक राजस्व 50 हजार करोड़ रुपए।

88% पिछले 10 वर्षों से चीन में काम कर रही।

20% का राजस्व 10 हजार से 50 हजार करोड़ रु. तक।

19% कंपनियों के पास 2 हजार कर्मचारी। बाकी के पास 501 से 2,000 तक कर्मचारी।

47% कंपनियां ही अगले 5 सालों में चीन में व्यापार को लेकर आशावादी।